August 24, 2007
Posted by vijayshah in : વિચાર , trackback” बीजली और बादल ”
घीर घीर आये बदरवा कारे
नाचन लागे मोर
चमके बीजलीयां गरजे बदरवा
भयो बहुत कलशोर
बीजली क्युं गोरी बदरवा क्युं कारे
ए सोचे मनवा मोर
राधा जब बीजली बन नाची
भयो बदरवा नंदकीशोर
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very good